Recent Blogs

Home Hindi Preparation
Article 215 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 11:23:22
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 215

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 215
अनुच्छेद 215 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय V(राज्य में उच्च न्यायालय) में आता है। यह उच्च न्यायालयों को रिकॉर्ड का न्यायालय होने की स्थिति(High Courts to be courts of record) से संबंधित है। यह प्रावधान उच्च न्यायालयों को रिकॉर्ड का न्यायालय(Court of Record) घोषित करता है और उनकी अवमानना की शक्ति को परिभाषित करता है।
"प्रत्येक उच्च न्यायालय रिकॉर्ड का न्यायालय होगा और उसे अपनी अवमानना के लिए दंड देने की सभी शक्तियाँ होंगी, जो इस संविधान के अधीन हैं।"
विस्तृत विश्लेषण
उद्देश्य: अनुच्छेद 215 प्रत्येक उच्च न्यायालय को रिकॉर्ड का न्यायालय घोषित करता है, जिसका अर्थ है कि इसके निर्णय और कार्यवाही स्थायी रिकॉर्ड के रूप में मान्य हैं और कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं। यह उच्च न्यायालय को अपनी अवमानना(Contempt of Court) के लिए दंड देने की शक्ति प्रदान करता है। इसका लक्ष्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता, न्यायिक प्रभुता, और संवैधानिक ढांचे में उच्च न्यायालयों की गरिमा और अधिकार को सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो उच्च न्यायालयों को रिकॉर्ड का न्यायालय मानता था। यह ब्रिटिश न्यायिक प्रणाली में रिकॉर्ड के न्यायालयों की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, उच्च न्यायालयों की स्वायत्तता और प्रभुता को मजबूत करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया, जो केंद्र में अनुच्छेद 129(सर्वोच्च न्यायालय के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान उच्च न्यायालयों की गरिमा और उनके निर्णयों की बाध्यकारी प्रकृति को बनाए रखता है।
अनुच्छेद 215 के प्रमुख तत्व
रिकॉर्ड का न्यायालय: प्रत्येक उच्च न्यायालय रिकॉर्ड का न्यायालय है, जिसका अर्थ है: इसके निर्णय और कार्यवाही स्थायी रिकॉर्ड के रूप में रखे जाते हैं। ये रिकॉर्ड कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं और निचली अदालतों के लिए मिसाल(precedent) के रूप में काम करते हैं। उदाहरण: 2025 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का एक निर्णय निचली अदालतों के लिए बाध्यकारी रहा।
अवमानना की शक्ति: उच्च न्यायालय को अपनी अवमानना के लिए दंड देने की शक्ति है। अवमानना में शामिल हो सकता है: न्यायालय की अवहेलना। न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप। न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुँचाना। उदाहरण: 2025 में, एक पक्षकार को उच्च न्यायालय की अवमानना के लिए दंडित किया गया।
महत्व: न्यायिक प्रभुता: उच्च न्यायालयों की स्वतंत्रता और गरिमा। शक्ति पृथक्करण: न्यायपालिका की स्वायत्तता। लोकतांत्रिक शासन: न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता। कानूनी बाध्यता: निर्णयों की मिसाल के रूप में मान्यता।
प्रमुख विशेषताएँ: रिकॉर्ड का न्यायालय: स्थायी और बाध्यकारी। अवमानना: दंड की शक्ति। न्यायपालिका: स्वतंत्रता और प्रभुता। संविधान: न्यायिक ढांचा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: उच्च न्यायालयों ने अवमानना के मामलों में दंड दिए। 1990 के दशक: अवमानना की शक्ति पर विवाद। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में उच्च न्यायालयों के निर्णयों का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: अवमानना की शक्ति का दुरुपयोग: अत्यधिक दंड के आरोप।न्यायिक समीक्षा: अवमानना मामलों की वैधता पर कोर्ट की जाँच। स्वतंत्रता बनाम जवाबदेही: अवमानना शक्ति की सीमा पर बहस।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 129: सर्वोच्च न्यायालय रिकॉर्ड का न्यायालय। अनुच्छेद 214: उच्च न्यायालयों की स्थापना। अनुच्छेद 227: उच्च न्यायालय की निगरानी शक्ति।
रिकॉर्ड का न्यायालय: बाध्यकारी मिसाल। 2025 रिकॉर्ड: डिजिटल पारदर्शिता। संघीय ढांचा: मूल ढांचा। अवमानना: न्यायिक गरिमा की रक्षा
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogs

Loan Offer

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer