Recent Blogs

Home Hindi Preparation
Article 223 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-04 11:42:32
searchkre.com@gmail.com / 8392828781

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 223

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 223
अनुच्छेद 223 भारतीय संविधान के भाग VI(राज्य) के अंतर्गत अध्याय V(राज्य में उच्च न्यायालय) में आता है। यह मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति(Appointment of acting Chief Justice) से संबंधित है। यह प्रावधान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की व्यवस्था करता है।
"जब किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद रिक्त हो, या जब वह मुख्य न्यायाधीश किसी कारण से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो, तो उन कर्तव्यों का निर्वहन उस उच्च न्यायालय के किसी अन्य न्यायाधीश द्वारा किया जाएगा, जिसे राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे।"
विस्तृत विश्लेषण
उद्देश्य: अनुच्छेद 223 उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद के रिक्त होने या उनकी अनुपस्थिति में उनके कर्तव्यों को सुनिश्चित करने के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की व्यवस्था करता है। यह राष्ट्रपति को उच्च न्यायालय के किसी अन्य न्यायाधीश को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की शक्ति देता है। इसका लक्ष्य न्यायपालिका की निरंतरता, न्यायिक प्रशासन की दक्षता, और संघीय ढांचे में उच्च न्यायालयों की कार्यप्रणाली को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: यह प्रावधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित है, जो उच्च न्यायालयों में कार्यवाहक व्यवस्थाओं को नियंत्रित करता था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रणाली में न्यायिक निरंतरता की परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संदर्भ: संविधान लागू होने पर, यह प्रावधान उच्च न्यायालयों में नेतृत्व की निरंतरता और प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया, जो अनुच्छेद 130(सर्वोच्च न्यायालय के लिए) के समानांतर है। प्रासंगिकता: यह प्रावधान उच्च न्यायालयों में रिक्तता या अनुपस्थिति के दौरान निर्बाध न्यायिक कार्य सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 223 के प्रमुख तत्व
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति: यदि मुख्य न्यायाधीश का पद रिक्त हो या वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो(जैसे, अवकाश, बीमारी, या अन्य कारणों से), तो: राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के किसी अन्य न्यायाधीश को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करेगा। उदाहरण: 2025 में, एक मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में वरिष्ठतम न्यायाधीश को कार्यवाहक नियुक्त किया गया।
राष्ट्रपति की शक्ति: राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करे। यह नियुक्ति सामान्यतः वरिष्ठतम न्यायाधीश को दी जाती है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। उदाहरण: 2025 में, राष्ट्रपति ने CJI के परामर्श से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया।
महत्व: न्यायिक निरंतरता: उच्च न्यायालय में नेतृत्व की रिक्तता को रोकना। न्यायपालिका की स्वतंत्रता: कार्यवाहक नियुक्तियों में संवैधानिक प्रक्रिया। लोकतांत्रिक शासन: न्यायिक प्रशासन की स्थिरता। संघीय ढांचा: राज्यों में स्वतंत्र और प्रभावी न्यायपालिका।
प्रमुख विशेषताएँ: नियुक्ति: राष्ट्रपति द्वारा। कार्यवाहक: मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में। न्यायपालिका: निरंतरता और दक्षता। संविधान: प्रशासनिक स्थिरता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950 के बाद: कई उच्च न्यायालयों में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त। 1990 के दशक: कार्यवाहक नियुक्तियों में पारदर्शिता पर जोर। 2025 स्थिति: डिजिटल युग में कार्यवाहक नियुक्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड।
चुनौतियाँ और विवाद: नियुक्ति में देरी: रिक्तता से प्रशासनिक बाधाएँ। वरिष्ठता विवाद: गैर-वरिष्ठ न्यायाधीश की नियुक्ति पर सवाल।न्यायिक समीक्षा: नियुक्ति की वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 130: सर्वोच्च न्यायालय के कार्यवाहक CJI। अनुच्छेद 217: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति। अनुच्छेद 216: उच्च न्यायालयों का गठन।
Conclusion
Thanks For Read
jp Singh searchkre.com@gmail.com 8392828781

Our Services

Scholarship Information

Add Blogging

Course Category

Add Blogs

Coaching Information

Add Blogs

Loan Offer

Add Blogging

Add Blogging

Add Blogging

Our Course

Add Blogging

Add Blogging

Hindi Preparation

English Preparation

SearchKre Course

SearchKre Services

SearchKre Course

SearchKre Scholarship

SearchKre Coaching

Loan Offer