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Article 276 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 14:09:59
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 276

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 276
अनुच्छेद 276 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह पेशों, व्यवसायों, आजीविका और नियोजनों पर कर(Taxes on professions, trades, callings and employments) से संबंधित है। यह प्रावधान राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को पेशों, व्यवसायों, आजीविका, और नियोजनों पर कर लगाने की शक्ति देता है, और यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे कर संविधान के अन्य प्रावधानों से प्रभावित न हों।
"(1) इस संविधान के किसी अन्य उपबंध के होते हुए भी, कोई भी राज्य या उसकी ओर से कोई प्राधिकारी, जो 26 जनवरी 1950 को पेशों, व्यवसायों, आजीविका, या नियोजनों पर कर लगाने के लिए अधिकृत था, वह इस संविधान के लागू होने के बाद भी ऐसा कर लगाना जारी रख सकता है।
(2) किसी व्यक्ति पर इस तरह के कर की कुल राशि प्रति वर्ष दो हजार पाँच सौ रुपये से अधिक नहीं होगी, जैसा कि संसद कानून द्वारा निर्धारित करे।
(3) इस अनुच्छेद के तहत लगाए गए कर को अनुच्छेद 265 के तहत लागू कानून के रूप में माना जाएगा।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 276 का उद्देश्य राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों(जैसे, नगर पालिकाएँ, पंचायतें) को पेशों, व्यवसायों, आजीविका, और नियोजनों पर कर लगाने की शक्ति देना है। यह सुनिश्चित करता है कि संविधान के लागू होने से पहले मौजूद ऐसे करों को लागू रखा जा सके, भले ही संविधान के अन्य प्रावधान(जैसे, अनुच्छेद 246 और सातवीं अनुसूची) इसे प्रभावित करते हों। इसका लक्ष्य राज्यों और स्थानीय निकायों की वित्तीय स्वायत्तता, स्थानीय प्रशासन को सशक्त करना, और संघीय ढांचे में संतुलन बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 276 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें प्रांतों और स्थानीय निकायों को पेशा कर लगाने की शक्ति थी। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के समय, स्थानीय निकायों(जैसे, नगर पालिकाएँ) को अपने प्रशासनिक खर्चों के लिए राजस्व की आवश्यकता थी। पेशा कर एक महत्वपूर्ण स्रोत था। प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान स्थानीय निकायों के लिए महत्वपूर्ण है, हालांकि GST के लागू होने से इसकी प्रासंगिकता कुछ हद तक प्रभावित हुई है।
अनुच्छेद 276 के प्रमुख तत्व
खंड(1): कर लगाने की शक्ति: राज्य सरकारें या उनके द्वारा अधिकृत प्राधिकारी(जैसे, नगर पालिकाएँ, पंचायतें) पेशों, व्यवसायों, आजीविका, और नियोजनों पर कर लगाने के लिए अधिकृत हैं। यह शक्ति संविधान के लागू होने से पहले(26 जनवरी 1950) मौजूद थी और इसके बाद भी जारी रहती है। उदाहरण: 2025 में, मुंबई नगर निगम डॉक्टरों, वकीलों, और अन्य पेशेवरों पर पेशा कर लगाता है।
खंड(2): कर की सीमा: किसी व्यक्ति पर इस तरह के कर की कुल राशि प्रति वर्ष 2,500 रुपये से अधिक नहीं हो सकती। यह सीमा संसद द्वारा कानून के माध्यम से निर्धारित की गई थी(मूल रूप से 250 रुपये, 1991 में संशोधन द्वारा 2,500 रुपये)। उदाहरण: 2025 में, एक वकील पर दिल्ली नगर निगम द्वारा 2,500 रुपये का पेशा कर लगाया जाता है।
खंड(3): कानूनी वैधता: इस अनुच्छेद के तहत लगाए गए कर को अनुच्छेद 265(कानून के बिना कराधान पर निषेध) के तहत वैध माना जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि पेशा कर कानूनी रूप से मान्य हो। उदाहरण: 2025 में, पेशा कर की वैधता पर कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन अनुच्छेद 276 के आधार पर इसे बरकरार रखा गया।
महत्व: स्थानीय स्वायत्तता: स्थानीय निकायों को राजस्व जुटाने की शक्ति। संघीय ढांचा: केंद्र, राज्य, और स्थानीय निकायों के बीच वित्तीय संतुलन। प्रशासनिक दक्षता: स्थानीय प्रशासन के लिए स्वतंत्र राजस्व स्रोत। न्यायिक समीक्षा: पेशा कर की वैधता और सीमा पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: पेशा कर: राज्यों और स्थानीय निकायों की शक्ति। सीमा: 2,500 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष। कानूनी वैधता: अनुच्छेद 265 के तहत। संघीय ढांचा: स्थानीय स्वायत्तता।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: नगर पालिकाओं द्वारा वकीलों, डॉक्टरों पर पेशा कर। 1991: पेशा कर की सीमा 250 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये। 2025 स्थिति: डिजिटल पेशेवरों(जैसे, फ्रीलांसर, सॉफ्टवेयर डेवलपर) पर पेशा कर।
चुनौतियाँ और विवाद: GST का प्रभाव: GST ने कई स्थानीय करों को समाहित किया, जिससे पेशा कर की प्रासंगिकता पर सवाल। करदाताओं पर बोझ: पेशा कर और GST का दोहरा बोझ। न्यायिक समीक्षा: कर की सीमा और वैधता पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 265: कानून के बिना कराधान पर निषेध। अनुच्छेद 266: संगठित निधि और लोक लेखा। अनुच्छेद 243H: पंचायतों को कर लगाने की शक्ति। अनुच्छेद 243X: नगर पालिकाओं को कर लगाने की शक्ति।
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