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Article 282 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-05 14:24:31
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 282

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 282
अनुच्छेद 282 भारतीय संविधान के भाग XII(वित्त, संपत्ति, संविदाएँ और वाद) के अध्याय I(वित्त) में आता है। यह केंद्र और राज्यों द्वारा सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए व्यय(Expenditure for public purposes) से संबंधित है। यह प्रावधान केंद्र और राज्य सरकारों को सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अपनी संगठित निधि या अन्य स्रोतों से अनुदान या धन आवंटित करने की शक्ति देता है।
"केंद्र सरकार या कोई भी राज्य सरकार अपनी संगठित निधि या अन्य स्रोतों से किसी भी सार्वजनिक उद्देश्य के लिए, जिसमें किसी अन्य राज्य को सहायता देना शामिल है, अनुदान दे सकती है या धन व्यय कर सकती है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 282 का उद्देश्य केंद्र और राज्य सरकारों को सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अपनी संगठित निधि से धन व्यय करने या अनुदान देने की लचीलापन प्रदान करना है। यह प्रावधान केंद्र को राज्यों को विशेष अनुदान देने या विशिष्ट योजनाओं(जैसे, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा) के लिए धन आवंटित करने की अनुमति देता है। इसका लक्ष्य सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, विकास योजनाओं को समर्थन देना, और राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को पूरा करना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 282 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्रेरित था, जिसमें केंद्र और प्रांतों को सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए धन व्यय करने की शक्ति थी। भारतीय संदर्भ: स्वतंत्रता के बाद, केंद्र और राज्यों को विकास योजनाओं, आपदा राहत, और सामाजिक कल्याण के लिए अनुदान की आवश्यकता थी। अनुच्छेद 282 ने इस लचीलेपन को प्रदान किया। प्रासंगिकता: 2025 में, यह प्रावधान केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं(जैसे, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत) और आपदा राहत अनुदानों के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 282 के प्रमुख तत्व
सार्वजनिक उद्देश्य के लिए व्यय: केंद्र और राज्य सरकारें अपनी संगठित निधि या अन्य स्रोतों से सार्वजनिक उद्देश्य के लिए धन व्यय कर सकती हैं। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, आपदा राहत, और अन्य कल्याणकारी योजनाएँ शामिल हैं। उदाहरण: 2025 में, केंद्र ने डिजिटल बुनियादी ढांचे के लिए राज्यों को अनुदान दिया।
केंद्र से राज्यों को सहायता: केंद्र सरकार अन्य राज्यों को अनुदान दे सकती है, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों को। यह सहायता वित्त आयोग की सिफारिशों से स्वतंत्र हो सकती है। उदाहरण: 2025 में, बाढ़ प्रभावित राज्यों(जैसे, असम) को केंद्र से अनुदान।
लचीलापन: यह प्रावधान केंद्र और राज्यों को विशिष्ट परियोजनाओं या आपातकालीन जरूरतों के लिए त्वरित वित्तीय सहायता देने की शक्ति देता है। उदाहरण: 2025 में, जलवायु परिवर्तन परियोजनाओं के लिए केंद्र द्वारा अनुदान।
महत्व: सहकारी संघवाद: केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय सहयोग। विकास योजनाएँ: राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं का समर्थन। आपदा प्रबंधन: आपातकालीन सहायता के लिए लचीलापन। न्यायिक समीक्षा: अनुदान और व्यय की वैधता पर कोर्ट की निगरानी।
प्रमुख विशेषताएँ: सार्वजनिक उद्देश्य: अनुदान और व्यय का आधार। संगठित निधि: धन का स्रोत। लचीलापन: विशिष्ट योजनाओं के लिए सहायता। संघीय ढांचा: सहकारी संघवाद।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1950-1960 के दशक: केंद्र द्वारा ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए अनुदान। 2000 के दशक: राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(MGNREGA) के लिए अनुदान। 2025 स्थिति: डिजिटल इंडिया और जलवायु परिवर्तन परियोजनाओं के लिए अनुदान।
चुनौतियाँ और विवाद: केंद्र-राज्य तनाव: अनुदान के उपयोग और आवंटन पर असहमति। पारदर्शिता का अभाव: अनुदान के दुरुपयोग की आशंका। न्यायिक समीक्षा: अनुदान की वैधता और उपयोग पर कोर्ट की जाँच।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 275: राज्यों को अनुदान। अनुच्छेद 280: वित्त आयोग। अनुच्छेद 279A: GST परिषद। अनुच्छेद 266: संगठित निधि।
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