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Article 352 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-07 14:33:27
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352
अनुच्छेद 352 भारतीय संविधान के भाग XVIII (आपात उपबंध) में आता है। यह राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा (Proclamation of Emergency) से संबंधित है। यह प्रावधान राष्ट्रपति को युद्ध, बाह्य आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने की शक्ति देता है।
"(1) यदि राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि भारत की सुरक्षा या उसके किसी भाग की सुरक्षा युद्ध, बाह्य आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह के कारण संकट में है, तो वह इसकी उद्घोषणा कर सकता है।
(2) ऐसी उद्घोषणा पूरे भारत या उसके किसी भाग के लिए हो सकती है।
(3) उद्घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
(4) आपातकाल की अवधि दो महीने तक होगी, जिसे संसद द्वारा बढ़ाया जा सकता है।"
उद्देश्य: अनुच्छेद 352 का उद्देश्य राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में भारत की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए असाधारण उपायों को लागू करना है। यह राष्ट्रपति को विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है ताकि युद्ध, बाह्य आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह जैसे गंभीर संकटों का सामना किया जा सके। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय सुरक्षा, संवैधानिक व्यवस्था, और लोकतांत्रिक संतुलन को बनाए रखना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 352 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह प्रावधान भारत की स्वतंत्रता के बाद की भू-राजनीतिक चुनौतियों, जैसे पड़ोसी देशों के साथ युद्ध और आंतरिक अशांति, को ध्यान में रखकर बनाया गया।
44वां संवैधानिक संशोधन (1978): 1975 के आपातकाल (इंदिरा गांधी सरकार) के दुरुपयोग के बाद, इस संशोधन ने आपातकाल की उद्घोषणा के लिए कठोर शर्तें लागू कीं और "आंतरिक अशांति" को "सशस्त्र विद्रोह" से बदल दिया।
भारतीय संदर्भ: भारत ने तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल देखा है: 1962: भारत-चीन युद्ध।
1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध।
1975: आंतरिक अशांति (विवादास्पद)।
प्रासंगिकता (2025): डिजिटल युग और भू-राजनीतिक तनावों (जैसे, सीमा विवाद, आतंकवाद) के संदर्भ में, यह प्रावधान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुच्छेद 352 के प्रमुख तत्व
राष्ट्रपति की शक्ति: राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह युद्ध, बाह्य आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा करे।
उद्घोषणा पूरे भारत या उसके किसी भाग के लिए हो सकती है।
उदाहरण: 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राष्ट्रीय आपातकाल।
संसदीय अनुमोदन: उद्घोषणा को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
यदि अनुमोदन नहीं मिलता, तो उद्घोषणा समाप्त हो जाती है।
उदाहरण: 1975 के आपातकाल का संसदीय अनुमोदन।
अवधि: आपातकाल की अवधि दो महीने तक होती है, जिसे संसद द्वारा विशेष बहुमत से बढ़ाया जा सकता है। प्रत्येक विस्तार के लिए छह महीने की अवधि के लिए संसदीय अनुमोदन आवश्यक है।
न्यायिक समीक्षा: आपातकाल की उद्घोषणा को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि यह मनमानी या असंवैधानिक हो। 44वां संशोधन ने यह सुनिश्चित किया कि आपातकाल की वैधता पर न्यायिक जाँच संभव हो। उदाहरण: मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980)।
महत्व: राष्ट्रीय सुरक्षा: युद्ध या विद्रोह जैसे संकटों का सामना। संवैधानिक शक्तियाँ: केंद्र सरकार को असाधारण शक्तियाँ। लोकतांत्रिक संतुलन: संसदीय और न्यायिक निगरानी। संघीय ढांचा: केंद्र और राज्यों पर प्रभाव।
प्रमुख विशेषताएँ: उद्घोषणा: युद्ध, बाह्य आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह। अनुमोदन: संसद द्वारा। अवधि: दो महीने, विस्तार योग्य। न्यायिक निगरानी: वैधता की जाँच।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1962: भारत-चीन युद्ध के दौरान आपातकाल। 1971: भारत-पाकिस्तान युद्ध (बांग्लादेश मुक्ति)। 1975: इंदिरा गांधी सरकार द्वारा आंतरिक अशांति के आधार पर आपातकाल (विवादास्पद)। 2025 स्थिति: कोई राष्ट्रीय आपातकाल लागू नहीं, लेकिन भू-राजनीतिक तनावों के कारण सतर्कता।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 353: आपातकाल का प्रभाव। अनुच्छेद 356: राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता। अनुच्छेद 358: मौलिक अधिकारों का निलंबन। अनुच्छेद 359: मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन का निलंबन।
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