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Article 371C of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-07 15:33:15
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371C

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371C
अनुच्छेद 371C भारतीय संविधान के भाग XXI (अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध) में आता है। यह मणिपुर राज्य के लिए विशेष उपबंध (Special provision with respect to the State of Manipur) से संबंधित है। यह प्रावधान मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों (Hill Areas) में विकास और प्रशासनिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
(2) राष्ट्रपति, मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों के प्रशासन, विकास, और हितों की रक्षा के लिए विशेष आदेश जारी कर सकता है।
उद्देश्य: अनुच्छेद 371C का उद्देश्य मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में विकास, प्रशासन, और स्थानीय हितों की रक्षा सुनिश्चित करना है। यह प्रावधान मणिपुर के जनजातीय और पहाड़ी समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित करता है, जो मैदानी क्षेत्रों से भिन्न हैं। इसका लक्ष्य क्षेत्रीय समानता, सांस्कृतिक संरक्षण, और राष्ट्रीय एकीकरण के बीच संतुलन बनाना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 371C को 27वें संवैधानिक संशोधन (1971) के तहत जोड़ा गया, जब मणिपुर को केंद्रशासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। यह प्रावधान मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों की विशेष स्थिति को मान्यता देता है। भारतीय संदर्भ: मणिपुर में पहाड़ी क्षेत्र (जैसे, उखरूल, सेनापति) जनजातीय समुदायों (नागा, कुकी) का निवास हैं, जिनकी सांस्कृतिक और सामाजिक आवश्यकताएँ अलग हैं। उदाहरण: पहाड़ी क्षेत्र समिति (Hill Areas Committee) की स्थापना।
प्रासंगिकता (2025): यह प्रावधान मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में विकास और स्वायत्तता के लिए प्रासंगिक है, विशेष रूप से जनजातीय समुदायों के बीच तनाव और विकास की चुनौतियों के संदर्भ में।
अनुच्छेद 371C के प्रमुख तत्व
पहाड़ी क्षेत्र समिति: राष्ट्रपति के आदेश से मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों के लिए एक समिति गठित की जा सकती है। इस समिति में मणिपुर विधान सभा के वे सदस्य शामिल होते हैं, जो पहाड़ी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उदाहरण: पहाड़ी क्षेत्र समिति का गठन।
राष्ट्रपति की शक्ति: राष्ट्रपति, पहाड़ी क्षेत्रों के प्रशासन, विकास, और हितों की रक्षा के लिए विशेष आदेश जारी कर सकता है। यह स्थानीय स्वायत्तता और विकास को बढ़ावा देता है। उदाहरण: पहाड़ी क्षेत्रों में विकास परियोजनाएँ।
न्यायिक समीक्षा: राष्ट्रपति के आदेश और समिति के कार्यों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, यदि वे संवैधानिक सीमाओं से बाहर हों।
महत्व: क्षेत्रीय विकास: पहाड़ी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा और विकास। सांस्कृतिक संरक्षण: जनजातीय समुदायों की पहचान। स्वायत्तता: स्थानीय प्रशासन को शक्ति। राष्ट्रीय एकीकरण: भारत के साथ संतुलन।
प्रमुख विशेषताएँ: समिति: पहाड़ी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व। आदेश: राष्ट्रपति की शक्ति। विकास: जनजातीय हित। निगरानी: न्यायिक समीक्षा।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1971: मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा और अनुच्छेद 371C का समावेश। 1972: पहाड़ी क्षेत्र समिति की स्थापना। 2025 स्थिति: पहाड़ी क्षेत्रों में विकास और तनाव।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 371A: नागालैंड। छठी अनुसूची: जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन। 27वां संशोधन: मणिपुर का दर्जा।
Conclusion
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