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Article 393 of the Indian Constitution
jp Singh 2025-07-07 16:05:20
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 393

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 393
अनुच्छेद 393 भारतीय संविधान के भाग XXII (संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्रामाणिक पाठ और निरसन) में आता है। यह संविधान का संक्षिप्त नाम (Short title) से संबंधित है। इस अनुच्छेद के तहत संविधान का आधिकारिक नाम
अनुच्छेद 393 का पाठ संविधान के पाठ (हिंदी) के अनुसार:
उद्देश्य: अनुच्छेद 393 का उद्देश्य भारतीय संविधान को एक आधिकारिक नाम देना है, जो इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्रदान करता है। यह प्रावधान संविधान की पहचान को स्पष्ट और एकसमान बनाता है। इसका लक्ष्य संवैधानिक पहचान, औपचारिकता, और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संवैधानिक ढांचा: अनुच्छेद 393 संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। संविधान सभा ने संविधान को
अनुच्छेद 393 के प्रमुख तत्व
संक्षिप्त नाम: संविधान का आधिकारिक नाम
औपचारिकता: यह अनुच्छेद संविधान को एक औपचारिक और मानकीकृत पहचान देता है। उदाहरण: कानूनी और अंतरराष्ट्रीय संदर्भों में उपयोग। न्यायिक समीक्षा: इस प्रावधान से संबंधित कोई प्रत्यक्ष विवाद नहीं है, क्योंकि यह केवल नामकरण से संबंधित है।
महत्व: राष्ट्रीय पहचान:
प्रमुख विशेषताएँ: नाम: भारत का संविधान। औपचारिकता: मानकीकृत पहचान। प्रासंगिकता: राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय।
ऐतिहासिक उदाहरण: 1949: संविधान सभा द्वारा नामकरण पर सहमति। 1950: संविधान लागू होने पर नाम का उपयोग। 2025 स्थिति: संविधान का नाम आज भी उपयोग में।
संबंधित प्रावधान: अनुच्छेद 394: संविधान का प्रारंभ। अनुच्छेद 395: निरसन। प्रस्तावना: भारत की संप्रभुता।
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