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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9
jp Singh 2025-05-09 11:27:27
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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9: विदेशी नागरिकता स्वीकार करने वालों की नागरिकता का समापन से संबंधित है। यह भारत के संविधान के नागरिकता से संबंधित प्रावधानों (अनुच्छेद 5-11) का हिस्सा है और भारत में दोहरी नागरिकता को रोकने के लिए बनाया गया है।
प्रावधान
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9 के अनुसार
यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी विदेशी देश की नागरिकता प्राप्त करता है, तो वह भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा।
महत्व
यह अनुच्छेद भारत में दोहरी नागरिकता को स्पष्ट रूप से निषिद्ध करता है। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार करता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।
यह प्रावधान संविधान लागू होने (26 जनवरी 1950) के समय और उसके बाद दोनों पर लागू होता है।
यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय नागरिकता एकमात्र और विशेष हो, जिससे राष्ट्रीय निष्ठा को बनाए रखा जाए।
उदाहरण
यदि कोई भारतीय नागरिक 1950 में स्वेच्छा से अमेरिकी नागरिकता स्वीकार करता है, तो वह अनुच्छेद 9 के तहत अपनी भारतीय नागरिकता खो देता था।
यदि कोई व्यक्ति ब्रिटेन की नागरिकता लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाती है, भले ही वह भारत में जन्मा हो या अनुच्छेद 5-8 के तहत नागरिक रहा हो।
मुख्य बिंदु
स्वेच्छा महत्वपूर्ण है: यदि विदेशी नागरिकता जबरन या अनजाने में प्राप्त की गई हो (जैसे, जन्म के कारण), तो यह अनुच्छेद लागू नहीं हो सकता।
यह अनुच्छेद अनुच्छेद 8 (विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की नागरिकता) के साथ संतुलन बनाता है, क्योंकि विदेशी नागरिकता स्वीकार करने से अनुच्छेद 8 के तहत पंजीकरण का लाभ समाप्त हो सकता है।
नागरिकता अधिनियम, 1955 ने इस प्रावधान को और स्पष्ट किया, जिसमें विदेशी नागरिकता स्वीकार करने पर नागरिकता समाप्त करने की प्रक्रिया (धारा 9) शामिल है।
संबंधित जानकारी
नुच्छेद 10: नागरिकता की निरंतरता को सुनिश्चित करता है, लेकिन अनुच्छेद 9 जैसे प्रावधानों के अधीन।
आधुनिक संदर्भ: भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता, लेकिन प्रवासी भारतीय नागरिकता (OCI) कार्ड जैसे प्रावधान विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को सीमित अधिकार (जैसे, वीजा-मुक्त यात्रा) प्रदान करते हैं, बिना पूर्ण नागरिकता दिए।
नागरिकता अधिनियम, 1955: धारा 9 में यह निर्धारित किया गया है कि विदेशी नागरिकता स्वीकार करने पर भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाती है, और इसके लिए औपचारिक प्रक्रिया होती है।
प्रासंगिकता
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9 आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि वैश्वीकरण के दौर में कई भारतीय विदेशों में नागरिकता लेते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाती है।
यह विभाजन के बाद की अवधि में विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, जब कुछ लोग पाकिस्तान या अन्य देशों की नागरिकता ले सकते थे।
Conclusion
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